इस बार जब आया हूँ, दिल्ली बदली हुई है। मुझे लम्बे समय तक वह निर्मल वर्मा की कहानियों से पैदा हुई लगती रही थी जिनकी सड़कों पर गर्मियों के दिनों में धूल के बगूले उठते थे, तेज़ धूप से बचने लड़कियाँ दुपट्टों से अपना मुँह छिपाती थीं। सर्दियों के पास आत
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